दीपावली {महालक्ष्मी पूजन}

दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। दीपावली दो शब्दोँ 'दीप' और 'अवली' से मिलकर बना है जिसका अर्थ दीपकोँ की पंक्ति से है। इस दिन लोग दीपकोँ को पंक्तियोँ मेँ रखकर रोशनी करते है। यह पाँच दिवसीय दीपोत्सव का मुख्य दिन होता है। यह त्योहार अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है।

मान्यताएँ -

दीपावली मनाने के पीछे मान्यता यह है कि इस दिन त्रेता युग मेँ भगवान श्री राम अन्यायी रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। इस खुशी मेँ अयोध्यावासियोँ ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया और खुशियाँ मनाई थी। उस दिन से प्रतिवर्ष कार्तिक अमावस्या को दीपावली मनाई जाती है। इस सबंध मेँ एक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नृसिँह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया और भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। इसके अतिरिक्त कार्तिक कृष्ण अमावस्या {दीपावली} के दिन ही जैन धर्म के चौबीसवेँ तीर्थँकर भगवान महावीर ने बिहार के पावापुरी मेँ स्वेच्छा से अपना शरीर त्यागा था। इसके दूसरे दिन से महावीर - निर्वाण संवत् शुरू होता है। इसलिए अनेक प्रांतोँ मेँ इसे वर्ष के आरंभ की शुरुआत मानते हैँ।

क्रियाएँ -

दीपावली प्रकाश का पर्व है। इस दिन दीपक जलाकर, पटाखे चलाकर और मिठाइयां खिलाकर खुशी जाहिर की जाती है। संध्या को दीपक जलाने के बाद घर के सभी बड़े व बुजुर्गोँ का आशीर्वाद लिया जाता है। महिलाएँ सज - धजकर मन्दिरोँ मेँ दीपक अर्पित करने जाती है। इस दिन धन की देवी माता महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है और घर मेँ उनके स्थायी निवास के लिए कामना की जाती है