दशहरा

दशहरा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इससे पूर्व नवरात्रा स्थापना से नवमी अर्थात् नौ दिनोँ तक जगह-जगह रामलीला का आयोजन होता है तथा दसवेँ दिन दशहरा मनाया जाता है। यह त्योहार असत्य पर सत्य व अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है।

कारण (कथा)

दशहरा प्रमुखतः क्षत्रिय वर्ग का त्योहार माना जाता है। इस दिन राम द्वारा अन्यायी रावण का वध किया गया था। इस संबध मेँ कारण है कि राम की सौतेली माता कैकेयी ने दशरथ से राम के लिए चौदह वर्ष तक वनवास भोगने का वर मांगा। इस पर राम खुशी-खुशी सीता और लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के लिए वन को चले गए। वन मेँ एक दिन अन्यायी रावण छलपूर्वक माता सीता का हरण कर उन्हेँ लंका ले गया। इसके बाद श्री राम ने भ्राता लक्ष्मण, भक्त हनुमान और वानर सेना के साथ लंका पहुँचकर दुष्ट रावण का वध किया। वह आश्विन, शुक्ल दशमी का दिन था। तभी से प्रतिवर्ष यह त्योहार मनाया जाता रहा है।

विजयादशमी (दशहरा)

दशहरे को विजयादशमी कहे जाने के सबंध मेँ कारण है कि इस दिन से पूर्व नौ दिनोँ तक श्री राम ने भगवती (विजया) की आराधना की थी जिससे उनमेँ अपार शक्ति का संचार हुआ। इसके बाद दशमी के दिन राम ने अन्यायी रावण का वध किया। इस कारण दशहरे को विजयादशमी भी कहा जाता है।

क्रियाएं

दशहरा मुख्यतः क्षत्रियोँ का त्योहार माना जाता है। इस दिन क्षत्रियोँ के यहाँ शस्त्र की पूजा होती है। ब्रज के मंदिरोँ मेँ इस दिन विशेष दर्शन होते हैँ। इस दिन नीलकंठ (मोर) का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त इस दिन रावण दहन के बाद 'शमी' नामक वृक्ष का पूजन किया जाता है। दशहरा उत्सव मेँ रामलीला भी महत्वपूर्ण है। रामलीला मेँ राम, सीता और लक्ष्मण के जीवन वृतांत का वर्णन किया जाता है।